अब्बू खाँ को बकरियाँ पालने का बड़ा शौक था। वो बकरियों को हरी-हरी घास खिलाते, चुपके-से धान के खेत में छोड़ देते, यहां तक कि किस्से भी सुनाते पर उनकी बकरियाँ उनके पास ठहरती नहीं थीं। मौका मिलते ही रस्सी तुड़ाकर भाग जाती थीं। आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि अब वो कभी बकरी नहीं पालेंगे। पर क्या वो खुद के लिए फैसले पर कायम रह पाएँगे?