Hari Patang Pe Hara Patanga
Hari Patang Pe Hara Patanga
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Hari Patang Pe Hara Patanga

Hari Patang Pe Hara Patanga

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Author: Varun Grover

Age: 3+

Format: Paperback

Product Description

कथा शुरू ऐसे होती है ……….एक है घोड़ा दो सवार हैं ….तीन लोक के चार द्वार हैं। यह अपनी हरियाली के लिये अपना बादल आप बनाने के सफर का किस्‍सा है।

भटक भटक के किस्‍से किस्‍से
जमा किए बादल के हिस्‍से

वरुण ग्रोवर ने इस लम्‍बी कविता में ऐसी भाषा, बिम्‍ब और लय अपनाये हैं कि पुराने समय की खोजी यात्राएँ साकार होने लगती हैं। और वह यात्रा भी जो यात्रियों में अपने समय को समझने के लिए चलती है। इसमें एलन शॉ के चित्रों का वैविध्‍य बेमिसाल है। चित्रों में माया सभ्‍यता से लेकर अब तक के आम इंसान हैं। सब अपने-अपने तरीकों से अपने बादलों की खोज में दिखाई देते हैं। जैसे यह इंसानी सभ्‍यता की अनवरत खोज है। इस तरह किताब में दो कविताएँ हैं। दूसरी कहें कि पहलीॽ कि पहले के भी पहले की कविता, एलन शॉ की है।