Kitabon Mein Billi Ne Bachche Diye Hain - Hindi
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Kitabon Mein Billi Ne Bachche Diye Hain - Hindi

Regular price Rs. 130.00 Rs. 0.00   Unit price per

Author: Sarveshwardyaal Saxena

Age: 4+

Format: Paperback

Product Description

इब्नबतूता पहन के जूता, निकल पड़े तूफान में थोड़ी हवा नाक में घुस गई, घुस गई थोड़ी कान में बच्चों के लिए शायद ही इस तासीर की दूसरी कविता होगी। बच्चों के लिए तूफानों में निकलने की कविता कौन लिखता है? तूफान भी आम नहीं। ऐसा कि पाँव उखाड़ दे। आपके जूते को उड़ा कर जापान ले जाए। और आप दोबारा एक और तूफान से भिड़ने दूसरा जूता बनवाने मोची की दूकान पर खड़े हो जाएँ। आज से नौ सौ साल पहले के मोरक्को के जुनूनी यात्री को दोबारा ज़िन्दा कर दिया, इस कविता ने। और बच्चों की कविताई में भी जान फूँक दी। सिर्फ यही नहीं इस संग्रह की लगभग हर कविता इसी मिजाज़ की है। महँगू ने महँगाई में, पैसे फूँके टाई में... दो टूक बात और मक्खन-सा छन्द। किताबों में बिल्ली ने बच्चे दिए हैं, ये बच्चे बड़े होके अफसर बनेंगे....चित्रकार देबब्रात घोष के चित्रों को देखकर पहली यह बात मन में आती है कि कितने मन से बनाए गए हैं। कविताओं में उथलपुथल है और चित्रों में इत्मीनान है। हरा नहीं शान्त हरा है, नीला सबसे शान्त नीला है।