Idgah - Hindi
Age: 7+
Format: Paperback
Product Description
हामिद की अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं। अब्बाजान भी रुपए कमाने गए हैं। कभी न कभी तो दोनों आएँगे ही, हामिद को पक्का यकीन है। लेकिन अभी तो दादी अमीना ही उसकी सबकुछ हैं।
ईद का त्यौहार है। महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी सभी मेला जा रहे हैं, हामिद को भी जाना है। उसके ये दोस्त तो मेले में खूब मज़ा करने वाले हैं - हिण्डोले पर झूलेंगे, चर्सी पर घूमेंगे, तरह-तरह के खिलौने खरीदेंगे, खूब मिठाइयाँ खाएँगे। उनके पास पैसे जो हैं, किसी के पास बारह तो किसी के पास पन्द्रह। हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे हैं। वह क्या करने वाला है मेले में?
बालसुलभ चंचलता और बाल मनोविज्ञान के साथ ही समाज में व्याप्त विषमता के पहलुओं को अपने भीतर समेटे यह कहानी दिखाती है कि परिस्थितियों की चोट किस प्रकार बच्चों को छोटी-सी उम्र में ही बड़ा बना देती है।