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Ped Ka Pata - Hindi

Ped Ka Pata - Hindi

Regular price Rs. 100.00
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Sale Sold out

Author: Sushi Shukla

Age: 7+

Format: Paperback

Product Description

छोटे-छोटे उन्नीस गद्यों और उतने ही चित्रों वाली किताब वे गद्य कुछ चीज़ोंवाक़ि'आत और जगहों को याद करते हुए लिखे गए हैं सुशील शुक्ल ने याद को अँधेरेहवाओंदरवाज़ोंपेड़ोंआमोंपास और दूर कीऔर उन सारी बातों के साथ लिखा है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को हासिल रहती हैं भले ही वो बीती हुई हों - ज़्यादातर गद्य एक 'थाके ज़िक्र से शुरू होते हैं पर वो 'थामहज़ एक घटा हुआ समय नहीं है बल्कि एक जगह है एक पता है | 

जैसे एक घर है जिसे गिराया जा रहा है। यह एक याद की कहानी है। मगर यह दुनिया के गिर रहे हरेक घर के साथ ज़िन्दा हो उठती है। तो एक ऐसी याद जो याद भी है और अभी घट भी रही है। पेड़ का न होने पर पेड़ का होना सबसे ज़्यादा सालता है। तो ये कहानियाँ किसी चीज़ के न होने की कहानियाँ हैं। जो याद बनकर ही सुनाई जा सकती थीं। इसलिए कि हमें पता चले कि हम किस तरह का कल बनाएँ कि उसकी यादें सुहावनी हों। कचोटने वाली नहीं। 


पाठकों को इस पते पर तापोशी घोषाल के चित्रों की सोहबत हासिल रहेगी वे चित्र इस तरह से बेहद उदार हैं कि वो अपने साथ-साथ पढ़नेवाले की यादों को जगह देने हर पन्ने पर काफी खुली जगह रखे चलते हैं। इन चित्रों में इन सब कहानियों के किरदार हैंजगहें हैं। 

इनका भीतर हम सबके भीतर की तरह है। जैसेइस चित्र के मकान की एक ईंट हमारे घरों में लगी एक ईंट की तरह दिखती है। और इस मकान की एक ईंट का गिरनाहमारे घर की एक ईंट के गिरने की तरह है। 
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